hindisamay head


अ+ अ-

कविता

प्रेम की शक्तियाँ

प्रतिभा चौहान


तपते हुए ललाट पर
स्नेह की शीतल पट्टियाँ रख दी तुमने
ला दिया उसी वक्त मेरी मुट्ठी में
सारा ब्रह्मांड...
बना दिया चाँद को मेरा आईना

कहते हैं ईश्वर ने सृष्टि बनाते वक्त सारी शक्तियाँ प्रेम में डाल दीं
कर दी गई थी समस्त विश्व की नदियाँ उसके नाम !
समुद्र की गहराई को भी उथला रखा गया उसकी गहराई के आगे
केसरिया कलावा के मानिंद बांधा हर मनुष्य की कलाई पर

धरती पर आने से पहले
कुछ सामग्री डाली गई चमत्कृत प्रार्थनाओं में
हे ईश्वर !
तुमने नफरत में तो कुछ नहीं डाला था !


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में प्रतिभा चौहान की रचनाएँ